वृन्दावन- बड़े रंगनाथ मंदिर के ब्रह्मोत्सव मेला के अंतर्गत में भगवान गोदारंगमन्नार के दिव्य रथ को खींचकर श्रद्धालु कृतार्थ हो गए। रंगनाथ मंदिर के कुल पुरोहित एवम् अन्य पुरोहितों के निर्देशन में वैदिक विधान से सुबह प्राचीन रथ का छत्र कलश पूजन किया गया। इसके बाद भगवान गोदारंगमन्नार को विधि विधान से रथ पर विराजमान कराया गया।भगवान गोदारंगमन्नार का दिव्य रथ को खींचने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ रही। हजारों श्रद्धालु रस्से को पकड़कर रथ को खींच रहे थे। शोभायात्रा मार्ग पर जगह-जगह ठाकुरजी को मिश्री का भोग लगाया गया और कर्पूर से आरती उतारी गई। तुरई, ढोल, मृदंग आदि वाद्य यंत्रों और स्तुतियों केमध्य रथ लगभग दोपहर 02:30 बजे रंगजी के बगीचा स्थित विश्राम स्थल पर पहुंचा। बड़ा बगीचा पर एक घंटे ठाकुरजी के श्रीविगह को विश्राम कराया गया।



इसके बाद दोपहर में रथ दोबारा मंदिर के पश्चिम द्वार की ओर चल दिया।रथ के मंदिर के पश्चिम द्वार परपहुंचने पर श्रद्धालुओं के द्वारा आरती उतारी गई।मेले में चरख-झूले रहे आकर्षण का केंद्रउत्तर भारत के प्रसिद्ध रंगनाथमंदिर के ब्रह्मोत्सव के रथ मेले में जहां एक ओर पौराणिक महत्व की परंपरागत झांकियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई थीं वहीं दूसरी ओर इस मेला परिसर में लगे ऊंचे झूले, चरख और स्टाल सहित अन्य मनोरंजन के साधन युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। ग्रामीण और शहरी श्रद्धालु जहां आध्यात्मिक रंग में रंगे नजर आए वहीं कुछ लोग इन मनोरंजन के साधनों का भरपूर आनंद उठाते देखे गए। नन्हे-मुन्ने बच्चे भी मेले का जमकर आनंद लेते दिखाई दिए।ये मेला एक मास रहता है। भगवान गोदारंगमन्नार की शोभायात्रा का श्रद्धालुओं ने भी भरपूर आनंद लिया,इस दौरान कथा वाचक कपिल कृष्ण शास्त्री एवम् अन्य वरिष्ठ कथा वाचक भी दर्शन हेतु पहुचे।