नई दिल्ली: तीन तलाक पर एक लंबे अरसे से चल रही असमंजस का अंत कल हो गया। तीन तलाक को अपराध के दायरे में लाने वाला कानून लोकसभा से पास हो गया है। इससे पहले गुरुवार को संसद में इस बिल पर वोटिंग हुई। बिल में कुछ संशोधनों को लेकर यह वोटिंग हुई थी। वहीं एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी वोटिंग की मांग की थी। सदस्यों ने उनके संशोधनों को पूरी तरह से खारिज कर दिया।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि एक संशोधन पर हुई वोटिंग में तो ओवैसी के पक्ष में सिर्फ 2 वोट पड़े। जबकि, इसके खिलाफ 241 वोट पड़े। दूसरे प्रस्ताव में भी उनके पक्ष में सिर्फ 2 वोट पड़े। वहीं, 242 लोगों ने उनके प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया। हालांकि, इससे पहले उनके संशोधन के प्रस्ताव को लोकसभा के सदस्यों ने ध्वनि मत से खारिज कर दिया था। सदन में इससे पहले इस बिल पर विस्तृत चर्चा हुई। आपको बता दें कि यह बिल बगैर किसी संशोधन के पास हुआ है। सभी संशोधन खारिज कर दिए गए। बिल को लेकर कुछ संशोधन रखे गए थे, जिनमें दो संशोधन ओवैसी ने आगे बढ़ाए थे। जबकि, एक संशोधन बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब ने बढ़ाया था। वहीं, कांग्रेस की ओर से सुष्मिता देव और सीपीआईएम के ए.संपत ने संशोधन आगे बढ़ाए थे, जिन्हें संसद में नकार दिया गया। अब यह बिल राज्यसभा में जाएगा।

इससे पहले तीन तलाक को प्रतिबंधित करने और विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकार सुरक्षित करने से संबंधित ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 गुरुवार को सरकार ने लोकसभा में पेश किया था। विधेयक पर सदन में चर्चा भी हुई। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस विधेयक को पेश किया था।  विधि एवं न्याय मंत्री प्रसाद ने कहा कि अगर मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में खड़ा होना अपराध है तो यह अपराध हम 10 बार करेंगे। हम इसे वोट के तराजू में नहीं तोल रहे। हम इसे सियासत के चश्मे से नहीं, बल्कि इंसानियत के चश्मे से देखते हैं। प्रसाद ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विपक्षी दल का पूरा स्वर भ्रम पैदा करता है, जहां वे समर्थन भी करते हैं और किंतु-परंतु भी करते हैं। वे एक तरफ विधेयक को हड़बड़ी में लाने की बात करते हैं और दूसरी तरफ कहते हैं कि इसे पहले क्यों नहीं लाया गया।