ज्वलंत ख़बर : अयोध्या मामले पर सर्वोच्च नयायलय में बुधवार को सुनवाई पूरी हो गई। अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा है और 23 दिन में अदालत का फैसला आएगा। बुधवार को सुनवाई तय वक्त से एक घंटे पहले ही पूरी हो गयी।
अदालत ने कहा कि अगले तीन दिन तक इस मामले में दस्तावेज जमा कराए जा सकते हैं। अदालत में बुधवार को राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मामले की लगतार 40वें दिन सुनवाई हुई। पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई की। सुनवाई शुरू होते ही मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने साफ कर दिया कि शाम पांच बजे मामले में अंतिम सुनवाई होगी। हालांकि सुनवाई एक घंटे पहले चार बजे ही खत्म हो गई।
मुस्लिम और हिंदू पक्ष ने अपनी-अपनी दलीलें अदालत के सामने रखीं। दोनों पक्षों के वकीलों के बीच तेज तरार बहस देखने को मिली। एक मौक़ा ऐसी भी आया जब मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने हिंदू महासभा के वकील की तरफ से पेश किए गए नक्शे को फाड़ दिया।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुनवाई शुरू करते हुए कहा कि अब बहुत हो चुका आज शाम पांच बजे तक हम इस मामले में सारी दलीलें सुन लेंगे और इसके बाद कोर्ट उठ जाएगी. उसके बाद कोर्ट इस मामले का फैसला लिखना शुरू करेगा. 19 नवंबर से पहले किसी भी दिन इस मामले पर सु्प्रीम कोर्ट का फैसला आ सकता है. आपको बताते चले कि सीजेआई रंजन गोगोई अगले महीने रिटायर हो रहे हैं.
निर्मोही अखाड़ा ने कोर्ट से कहा कि कोर्ट चाहे तो यूपी सरकार को निर्देश देकर अयोध्या के अधिग्रहित भूमि के बाहरी इलाके में वक़्फ़ बोर्ड को मस्जिद के लिए समुचित जगह दिला दे. निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि वक़्फ़ बोर्ड का विवादित भूमि पर लंबे समय से अधिकार रहा है इसकी तस्दीक हिंदुओ समेत सभी पक्षकार कोर्ट में भी कर चुके हैं। ऐसे में कोर्ट बोर्ड को निर्देश दे कि बोर्ड हाईकोर्ट के आदेश वाली अपने हिस्से की ज़मीन लंबी लीज पर हमें दे दे ताकि हम मन्दिर बना सकें।
साथ ही निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में लिखित दलील रखी, जिसमे उसने लिखा कि विवादित भूमि का आंतरिक और बाहरी अहाता दरअसल भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में मान्य है हम रामलला के सेवायत हैं। ये हमारे अधिकार में सदियों से रह है। लिहाज़ा हमे ही वहां रामलला के मन्दिर के पुनर्निर्माण, रखरखाव और सेवा का अधिकार मिलना चाहिए।
उसके बाद मस्जिद के नक्शे पर बहस छिड़ गयी. जिसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप जो मैप दिखा रहे है उसमें चबूतरा इनर कोर्ट यार्ड में था? राजीव धवन ने कहा चबूतरा भी मस्जिद का हिस्सा है. मस्जिद की दीवार कब्रगाह के पास से शुरू होती है. 17X21 का चबूतरा था. सब बाहरी अहाते का हिस्सा था.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने नक्शा दिखाते हुए पूछा -लेकिन ये चबूतरा तो अंदर है. हिंदुओ को वहां तक एक्सेस भी था. जिसपर राजीव धवन ने कहा कि ये गलत धारणा है. आपने शायद नक्शा गलत पकड़ा हुआ है. अब देखें मस्जिद के दोनों ओर कब्रिस्तान है. और हमारी मस्जिद यहां से शुरू होती है. चबूतरा बाहरी अहाते में ही है.
राजीव धवन ने कहा- सेवायत को हिन्दू धर्म मे सिर्फ पूजा का अधिकार है. इस्लाम की तरह उसे मुतवल्ली जैसे अधिकार नहीं मिल सकते. राजीव धवन ने कहा कि वो मोल्ड़िंग ऑफ रिलीफ़ के तहत बाबरी मस्जिद को फिर से बनाने की मांग कर रहे है. मस्जिद को दुबारा बनाने के अधिकार हैं. भले अभी वहाँ मस्जिद नही है लेकिन अभी भी ये जमीन वक़्फ़ की है. हम बाबरी विध्वंस के पहले की स्थिति चाहते है
राजीव धवन ने कहा कि मेरी याचिका सिर्फ टाइटल के लिए नहीं है. कई अन्य पहलू हैं. ये घोषणा एक सार्वजनिक वक्फ के लिए है. यह एक सार्वजनिक मस्जिद थी. इसमें मस्जिद, जमीन और कई चीजें शामिल हैं. यदि हिंदू 1855 से पहले टाइटल साबित करने में सक्षम हैं तो मैं इसके जवाब में 2 शताब्दियों से अधिक से पहले ही जगह का मालिक हूं.
धवन ने परासरन के बाहर से आए बाबर की ऐतिहासिक गलती को सुधारने की दलील पर कहा कि हम हिंदू और मुस्लिम शासकों में कैसे अंतर कर सकते हैं। 1206 में सल्तनत शुरू हुई. 1206 के बाद से मुसलमान मौजूद थे. इस्लाम ने उन लोगों के लिए आकर्षण पैदा किया जो छुआछात से परेशान थे. बाबर ने लोधी के साथ युद्ध किया जो एक मुस्लिम था. भारत सिर्फ एक नहीं था यह बहुतों का मिश्रण था।
राजीव धवन ने आगे कहा- हम हिंदू और मुस्लिम शासकों में फर्क नहीं कर सकते, मुसलमानों के पास दो शताब्दियों से मालिकाना हक है.
मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि आक्रमणकारियों की बात हो तो सिर्फ नादिरशाह, चंगेज और अंग्रेजों ही नहीं बल्कि आर्यों तक भी जाना होगा. लेकिन ये लोग सिर्फ एक खास तरह के लोगों को ही आक्रमणकारी मानते हैं. आर्यों को आक्रमणकारी मानने से उनको परहेज है. जब मीर कासिम आया तो भारत एक देश नहीं बल्कि टुकड़ों में था. लोधी को हराकर आया. तब धीरे धीरे उसने अपना राज बढ़ाया. तब उसकी लड़ाई भारत जे नही रजवाड़ो से थी. शिवाजी के समय राष्ट्रवाद की धारणा बढ़ी.
राजीव धवन ने कहा कि 1886 में फैजाबाद कोर्ट ने कहा था कि वहां हिंदू मंदिर के सबूत नहीं मिले, हिंदुओं ने उसे चुनौती भी नहीं दी. धवन ने कहा कि बाबर के द्वारा मस्जिद के निर्माण के लिए ग्रांट और लगान माफी गांव देने के दस्तावेज हैं. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा- ग्रांट से आपके मालिकाना हक की पुष्टि कैसे होती है?
धवन कहा – जमींदारी और दीवानी ज़माने के कायदे देखें तो जमीन के मालिक को ही ग्रांट मिलती थी. पीएन मिश्रा ने आपत्ति जताई तो धवन ने कहा कि इनकी दलील मूर्खतापूर्ण है, क्योंकि इनको भूमि कानून की जानकारी नहीं है. मिश्रा ने कहा कि वो भूमि कानूनों पर दो-दो किताबें लिख चुके हैं और मेरे काबिल दोस्त कह रहे हैं कि मुझे इसकी जानकारी ही नहीं. धवन ने कहा, आपकी किताबों को सलाम है आप उन पर पीएचडी भी कर लें! धवन ने हिन्दू पक्षकारों की दलीलों का जवाब देते हुए कहा कि यात्रियों की किताबों के अलावा इनके पास टाइटल यानी मालिकाना हक का कोई सबूत नहीं. इनकी विक्रमादित्य मन्दिर की बात मान भी लें तो भी ये रामजन्मभूमि मन्दिर की दलील से मेल नहीं खाता. 1886 में फैजाबाद कोर्ट कह चुका था कि वहां हिन्दू मन्दिर का कोई सबूत नहीं मिला. हिंदुओं ने उसे चुनौती भी नहीं दी.
राजीव धवन ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को जिसे नष्ट किया गया वो हमारी प्रोपर्टी थी. मुस्लिम वक्फ एक्ट 1860 से ही ये सारा गवर्न होता है. वक्फ सम्पत्ति का मुतवल्ली ही रखरखाव का जिम्मेदार होता है. उसे बोर्ड नियुक्त करता है. सनद यानी रजिस्टर में रज्जब अली ने मस्जिद के लिए फ्री लैंड वाले गांव की जमीन से 323 रुपए की आमदनी ग्रांट के तौर पर दर्ज की है. धवन ने ट्रांसलेशन हुए दस्तावेजों पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक-एक दस्तावेज के चार-चार मतलब हैं. हमारा अनुवाद ही सही है. इन्होंने तो सब कुछ अपने मुताबिक बर्बाद कर दिया है. बाबर की जगह बाबर शाह और वक्फ के भी अलग मतलब बताए हैं. उर्दू के भी हिंदी वर्जन लिखे हैं.
मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने पक्षकार हिंदू महसभा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि हिंदू महासभा 4 हिस्सों में बंटा हुआ है, क्या दूसरे महासभा इनके सपोर्ट में हैं. राजीव धवन ने कहा कि धर्मदास ने केवल ये साबित किया कि वो पुजारी हैं न कि गुरू. हिन्दू महासभा की तरफ से सरदार रविरंजन सिंह, दूसरी विकाश सिंह, तीसरा सतीजा और चौथा हरि शंकर जैन चार लोगों के सबूत दिए हैं. ये साबित नहीं कर पा रहे हैं कि वे किस महासभा को लेकर बहस कर रहे हैं. इसका मतलब है महासभा 4 हिस्सो में बंट गया है. क्या दूसरी महासभा इसको सपोर्ट करता है?