मेरे विचारों को नज़रबंद कर दो. Posted by ज्वलंत मुद्दा | Sep 12, 2018 | कविता | 0 | मुझ पर कोई तोहमत लगा कर मुझे सियाहखाने में कैद कर दो… मैं बाहर की दुनिया को ना देखूं, न मुझे कोई अंदर झांकें…