नई दिल्ली: किसान और मजदूर संगठन मोदी सरकार के खिलाफ आज दिल्ली में बड़ा प्रदर्शन कर रहे हैं. इस प्रदर्शन में लेफ्ट के किसान संगठन के अलावा किसान सभा और खेत मजदूर यूनियन से जुड़े लोग शामिल हैं. दिल्ली के रामलीला मैदान से संसद तक मार्च का आयोजन किया गया.महंगाई से राहत, न्यूनतम भत्ता, किसानों की कर्जमाफी और फसलों की वाजिब कीमत की मांग को लेकर केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ जुटे है. ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसान एवं मजदूर किसी एक रैली में एकजुट होकर हिस्सा ले रहे हैं.
अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धावले ने कहा, ”यह रैली मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ है. हर मज़दूर को 18 हज़ार न्यूनतम वेतन दिया जाए. सभी किसान का कर्ज माफ हो.किसान को लागत खर्चे पर डेढ़ गुना दाम मिलना चाहिए. यह रैली रामलीला मैदान से शुरू हुई है और संसद मार्ग की ओर जाएगी.”
उन्होंने कहा, ”करीबन 4-5 लाख लोग देश भर से यहां आए हैं, हर राज्य से यहां आए हैं. सरकार इन मांगों को पूरी नही करती तो संघर्ष और तीव्र होगा. चुनावी साल का मुद्दा नही है, बीते 4 साल से यह संघर्ष चलता आ रहा है.”
वाम समर्थित मजदूर संगठन ‘सीटू’ के महासचिव तपन सेन ने बताया कि रैली में हिस्सा लेने के लिये देश भर से किसान और कामगारों के दिल्ली पहुंचने का सिलसिला पिछले कुछ दिनों से जारी है. इसमें वामदलों और किसान मजदूर संगठनों के नेता हिस्सा लेंगे.
वाम समर्थित मजदूर संगठन ‘सीटू’ के महासचिव तपन सेन ने बताया कि आजाद भारत में पहली बार सरकार के खिलाफ आयोजित रैली में किसान और मजदूर एकजुट होकर हिस्सा ले रहे है. उन्होंने कहा कि यह अंतिम नहीं बल्कि पहली रैली होगी. इसमें सरकार की किसान मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन के दूसरे चरण की कार्ययोजना से अवगत कराया जायेगा. मौजूदा केन्द्र सरकार सिर्फ धनी और कार्पोरेट घरानों के हितों को साधने वाली नीतियां बना रही है. इसका सीधा असर गरीब मजदूरों और किसानों पर हो रहा है.