कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उनकी 74 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की.इस मौके पर प्रियंका गांधी और उनके पति रॉबर्ट वाड्रा भी मौजूद थे, जिन्होंने वीर भूमि में राजीव गांधी को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित कई कांग्रेसी नेताओं ने भी राजीव गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित किया.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती के मौके पर उन्हें याद करते हुए कहा कि वह एक दयालु, सौम्य और स्नेही व्यक्ति थे, जिनकी असामयिक मृत्यु ने मेरे जीवन में एक गहरा शून्य छोड़ा है. उन्होंने कहा, ‘मुझे उनके साथ बिताया गया समय याद है और भाग्यशाली था कि कई जन्मदिन उनके साथ मनाएं जब वह जिंदा थे. उन्होंने कहा कि उन्हें बहुत याद करता हूं लेकिन वह मेरी यादों में हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राजीव गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, ‘हमारे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। हम देश के लिए उनके प्रयासों को याद करते हैं।’
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को हुआ था. वे भारत के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री थे. मात्र 40 साल की उम्र में वो प्रधानमंत्री बने थे. 31 अक्टूबर 1984 को अपनी मां की क्रूर हत्या के बाद वे कांग्रेस अध्यक्ष बने. अपनी मां की हत्या के इस शोक से उबरने के बाद उन्होंने लोकसभा के लिए चुनाव कराने का आदेश दिया. उस चुनाव में कांग्रेस को पिछले सात चुनावों की तुलना में लोकप्रिय वोट अधिक अनुपात में मिले और पार्टी ने 508 में से रिकॉर्ड 401 सीटें हासिल की. और राजीव गाँधी प्रधानमंत्री बने. माँ को खोने के बाद व्यक्तिगत रूप से इतने दु:खी होने के बावजूद उन्होंने संतुलन, मर्यादा एवं संयम के साथ राष्ट्रीय जिम्मेदारी का अच्छे से निर्वहन किया.
राजीव गाँधी,स्वभाव से काफी गंभीर व्यक्तित्व वाले इंसान थे लेकिन आधुनिक सोच एवं निर्णय लेने की उनके अंदर अद्भुत क्षमता थी. वो देश को दुनिया की उच्च तकनीकों से पूर्ण करना चाहते थे और जैसा कि वे बार-बार कहते थे कि भारत की एकता को बनाये रखने के उद्देश्य के अलावा उनके अन्य प्रमुख उद्देश्यों में से एक है – इक्कीसवीं सदी के भारत का निर्माण. उन्होंने अपने इस सपने को साकार करने के लिए देश में कई क्षेत्रों में नई पहल की, जिनमें संचार क्रांति और कंप्यूटर क्रांति, शिक्षा का प्रसार, 18 साल के युवाओं को मताधिकार, पंचायती राज आदि शामिल हैं. वे देश की कंप्यूटर क्रांति के जनक के रूप में भी जाने जाते हैं.
1986 में उन्होंने उच्च शिक्षा के आधुनिकीकरण और विस्तार के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की. ग्रामीण भारत में शिक्षा की बेहतरी के लिए जवाहर नवोदय विद्यालयों की श्रृंखला स्थापित करने का काम शुरू हुआ. सूचना तकनीक और टेलीकॉम के व्यापक प्रसार पर उनके जोर ने देश में सूचना क्रांति का सूत्रपात किया तथा संचार-व्यवस्था गांवों तक पहुंचनी शुरू हुई.
वर्ष 1985 में पंचायती राज अधिनियम के द्वारा राजीव गांधी सरकार ने पंचायतों को महत्वपूर्ण वित्तीय और राजनीतिक अधिकार देकर सत्ता के विकेंद्रीकरण तथा ग्रामीण प्रशासन में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल किया था. यह उनकी सरकार की अन्यतम उपलब्धि थी. वर्ष 1986 में मिजोरम में लालडेंगा के नेतृत्व में दशकों से चल रहे अलगाववादी हिंसक आंदोलन को मिजोरम समझौते के द्वारा खत्म कर राज्य में लोकतांत्रिक व्यवस्था की बहाली राजीव गांधी की बड़ी सफलता मानी जाती है. पूर्वोत्तर में भारतीय राज्य के प्रति भरोसे की बहाली में इस समझौते का उल्लेखनीय योगदान है.
अपने जीवन काल में उन्होंने कई साहसिक कदम भी उठाए, जिनमें श्रीलंका में शांति सेना का भेजा जाना, असम समझौता, पंजाब समझौता, मिजोरम समझौता आदि शामिल हैं. इन वजहो से ही चरमपंथ उनके दुश्मन बन गए. जिस कारण, श्रीलंका में सलामी गारद के निरीक्षण के वक़्त उन पर हमला किया गया, लेकिन वे बाल-बाल बच गए.
मगर वर्ष 1989 में उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन वह कांग्रेस के नेता पद पर बने रहे. वे आगामी आम चुनाव के प्रचार के लिए 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेराम्बदूर गए, जहां एक जनसभा के दौरान उनपर आत्मघाती हमले में उनकी मौत हो गई. और देश ने अपने इस महान सपुत्र को खो दिया.