यह टोटके व साधनायें विशेष रूप से उन पीड़ित व्यक्तियों के लिए हैं, जिन्हें यह आभास है कि उन पर कुछ कर दिया गया है अथवा करवाया गया है, जिससे वह सामान्य जीवन नहीं जी पा रहे हैं । अत:- वह अपनी समस्या के अनुसार इनका प्रयोग करेंगे तो उनका जीवन भी सुखमय हो जायेगा ।
अभिलाषा-पूर्ति-
मंगलवार के दिन हनुमानजी की मूर्ति के माथे का सिंदूर दाहिने हाथ से लेकर सीताजी की मूर्ति के चरणों में लगा दें तथा अपने मन की अभिलाषा को सीताजी के सामने एक ही साँस में निवेदन कर दें । आपकी अभिलाषाअवश्य पूरी होेगी ।
ध्यान रखें– दोनों ही प्रतिमाऐं (हनुमानजी व सीताजी की) प्राण-प्रतिष्ठा की हुई होेनी चाहिए ।
समस्या के समाधान हेतु जीवन में कई बार ऐसी उलझन पूर्ण समस्याएँ आ खड़ी होती हैं, जिनका समाधान तर्क-वितर्क बुद्धि या युक्ति से सम्भव नहीं हो पाता । ऐसे में समस्याग्रस्त व्यक्ति इस तरह की परिस्थिति उपस्थित होने पर यहप्रयोग करके समस्या से छुटकारा पाया जा सकताहै । शनिवार की शाम को बरगद के वृक्ष का एक साफ-स्वच्छ पत्ता तोड़ लें । उस पत्ते पर रोली से अपनी समस्या लिख दें । इसके बाद कच्चे सूत का लाल धागा या कलावा अपने सिर से पाँव तक का नाप लें और उससे बरगद के पत्ते को लपेटकर बहते पानी में प्रवाहित कर दें । यह प्रयोग सात शनिवार तक लगातार करें । दुर्भाग्य-नाश का उपाय यदि जीवन में दुर्दिनों का फेर चल रहा हो, बनते हुए कार्य बिगड़ रहे हों, अनावश्यक रूप से असफलताएँ सामने आ रही हों– तो एक काली पतंग आसमान में उड़ावें और खूब दूर तक उड़ाने के बाद अपने हाथ के पास से पतंग की डोर को तोड़ दें । इसकेबाद न तो कभी पतंग उड़ावें और न ही आसमान से गिरती हुई किसी पतंग को लूटें । आँधी की दिशाबदलना आसमान में आँधी आने के लक्षण दिखायी दें, तभी घर के दरवाजों में लगे किवाड़ों (पल्लों) के आधार (खुमी) में थोड़ा-थोड़ा पानी डाल देने से आँधी का रुख बदल जाता है ।
वर्षा को रोकना –
(१) असामयिक वर्षा से हानि की सम्भावना दिखायी दे रही हो तो किसी कुआरी कन्या से कपड़े की एक पुतली (गुड़िया) बनवाकरआँगन में या खुले मैदान में उसे उलटा करके लटकवा देने से वर्षा कुछ समय के लिए थम जाती है ।
(२) अतिवृष्टि से जन-धन की हानि या किसी कार्य में व्यवधान पड़ने की सम्भावना दिखे, तब विधवा महिलाएँ नग्न होकर, हाथ में मूसल लेकर वर्षा में भीगते हुए नृत्य करें तो वर्षा थम जाती है । वर्षा होने के लिए समयानुकूल वर्षा न होने से अथवा वर्षा-ऋतु आ जाने पर भी पानी न बरसने से फसलों के लिए सूखे की स्थिति बन जाती है । ऐसे समय में विवाहित व पुत्रवती महिलाएँ रात्रि में नग्न होकर यदि खेतों में हल चलावें तो अपेक्षित वर्षा होने लगती है ।
कुदृष्टि से बचाव –
(१) कार्यस्थल, मकान या दुकान को दृष्टि-दोष से बचाने के लिए शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल को सिन्दूर लगाकर उस स्थान के प्रवेशद्वार के ऊपर अंग्रेजी के ‘यू’ आकार में जड़ दें । प्रत्येक शनिवार व मंगलवार को इसे धूप दिखलावें ।
(२) शनि या मंगल के दिन प्रातःकाल सात हरी मिर्च एवं नीबू काले धागे में पिरोकर दरवाजे के ऊपर लटका दें । ध्यान रखें कि धागे में चार मिर्चें नीचे तथा तीन मिर्चें ऊपर और बीच में नीबू पिरोया जाय । नीबू में सुई बगली से आर-पार होनी चाहिए । लाभ-प्राप्ति हेतु अशोक-वृक्ष के बीज ताँबे के ताबीज में भरकर कण्ठ में धारण करने से व्यक्ति प्राय: सभी कामों में लाभ अर्जित करता है । चिन्ता-मुक्ति हेतु वृक्ष की तीन पत्तियाँ प्रात: बासी मुख से चबायें सोलह दिन तक यह क्रिया करने से मानसिक चिंता से मुक्ति मिलती है तथा शरीर और मन स्वस्थ हो जाते हैं । रक्षा-ताबीज सात या नौ पपीते के बीज ताँबे के ताबीजमें भरकर गले में पहनने से तंत्र-मंत्र या बुरी नजर से रक्षा होती है । निरंतर धन-हानि से बचने के लिए रविवार की रात्रि को सोते समयएक लोटा जल में थोड़ा-सा दूध मिलाकर उसे सिरहाने की तरफ नीचे रखकर सोवें । सोमवार को प्रात: स्नानादि करके उस लोटे के जल को कीकर के पेड़ की जड़ में डाल दें । सात सोमवार तक निरन्तर यह प्रयोग करने से लगातार हो रही धन-हानि से अवश्य छुटकारा मिल जाता है ।
धन-प्राप्ति के उपाय-
(१) काले तिल, जौ का पीसाहुआ आटा और तेल मिश्रित करके एक रोटी पकावें, उसे अच्छी तरह से दोनों तरफ से सेकें, फिर उस पर तेल मिश्रित गुड़ चुपड़ कर व्यक्ति पर सात बार उवारकर भैंसे को खिलावें । शनि या मंगल के दिन यह प्रयोग करें । यह अनुभूत प्रयोग है ।
(२) दीपावली के दिन प्रात: व्यक्ति बिना स्नान किए, बिना दातुन किए, एक नारियल को पत्थर से बाँधकर नदी या तालाब के जल में डुबो दे और डुबोते समय प्रार्थना करे कि शाम को मैं आपको लक्ष्मी के साथ लेने आऊँगा । सूर्यास्त के बाद उस नारियल को जल सेनिकालकर ले आवें तथा लक्ष्मीपूजन के समय उसकी भी पूजा कर भण्डारगृह या संदूक में रख दें, तो पूरे वर्ष असाधारण रूप से धन प्राप्त होता रहता है ।
(३) श्री महालक्ष्मी के चित्र के समक्ष नौ बत्तियों के शुद्ध घी का दीपक जलाएँ । उसी दिन धनलाभ होगा ।