डेस्क : नागरिकता संशोधन विधेयक के लोकसभा में आसानी से पास होने के बाद भाजपा के लिए असली परीक्षा आज राज्यसभा में होगी. क्योकि यहां भाजपा पार्टी के पास संख्याबल कम है, जिससे उसके सामने इस संवेदनशील नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित कराना बड़ी चुनौती होगी, कांग्रेस के दबाव के बाद शिवसेना का राज्‍यसभा में मोदी सरकार को समर्थन नहीं देने का फैसला किया है. और साथ ही बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में विधेयक के ख़िलाफ़ आवाज़ उठी है, इसका कितना असर वोटिंग पर होता है ये वोटिंग बाद ही पता चलेगा. लोकसभा में जदयू ने विधेयक के पक्ष में वोटिंग की है. उसके बाद से पार्टी दो खेमे में दिख रही है.

राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं, लेकिन अब कुछ खाली सीटों के साथ सदन की ताकत अभी 238 है. भाजपा को विधेयक को पारित करने के लिए 120 वोटों की आवश्यकता है. उच्च सदन में भाजपा के 83 सांसद हैं और उसके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पास कुल 94 सांसद हैं.

भाजपा के 83 सांसदों के अलावा, राजग में जनता दल (युनाइटेड) के छह सांसद, शिरोमणि अकाली दल के तीन और लोक जनशक्ति पार्टी व भारतीय रिपब्लिकन पार्टी के एक-एक सांसद भी हैं. राज्यसभा में 12 मनोनीत सांसद हैं. भाजपा को 11 से समर्थन का भरोसा है, जिसमें सुब्रमण्यम स्वामी, स्वप्‍न दासगुप्ता, राकेश सिन्हा भी शामिल हैं.

अगर इन 11 और राज्यसभा सदस्यों को जोड़ लिया जाए तो राजग के सदस्यों की गिनती 105 तक पहुंच जाएगी, जहां उसे अभी भी 15 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होगी. यहीं पर भाजपा की ‘केमिस्ट्री’ काम आ सकती है, जो नागरिकता संशोधन विधेयक के लिए एक सुगम मार्ग बना सकती है, ताकि पार्टी 120 के आंकड़े तक पहुंच सके. हालांकि शिवसेना के U-Turn से भाजपा को झटका लग सकता है.

भाजपा को उम्मीद है कि उसे अन्नाद्रमुक के 11 सांसदों का समर्थन मिलेगा. इससे उसके पास 116 सांसदों का समर्थन हो जाएगा. अगर ऐसा होता है तो भाजपा इस खेल को आसानी से जितने में क़ामयाब रहेगी. इसके बाद चार और सांसदों का समर्थन ही चाहिए होगा. भाजपा के अनुसार नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल भी उसके संपर्क में है. जहाँ भाजपा बीजद के सभी सातों सांसदों का समर्थन मिलने की बात कह रही है. बीजद के समर्थन के बाद भाजपा के पास जरूरत से तीन अधिक मत हो जाएंगे, भाजपा नेतृत्व की कोशिश इससे भी ज्यादा की है. भाजपा आंध्र की वाईएसआरसीपी के दो सांसदों का समर्थन भी मिलने की आस लगाए बैठी है.

आपको बताते चले कि राजग सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में भी इस विधेयक को पेश किया था और इसे लोकसभा की मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन यहा राज्यसभा में पास नहीं हो सका था. इस बार सरकार के खिलाफ और अधिक विरोध प्रदर्शन होने के कारण गृह मंत्री अमित शाह व्यक्तिगत रूप से विधेयक पारित कराने के लिए रणनीति बनाने में जुटे हैं.

  -क़ायम साबरी