गुजरात : आज विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा स्टेच्यु ऑफ यूनिटी का अनावरण कर दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टेच्यु आफ यूनिटी का अनावरण किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को सच्ची श्रद्धाजंलि देने के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए ही वर्ष 31 अक्टूबर 2013 को उनकी 138वीं वर्षगांठ पर स्टेच्यु ऑफ यूनिटी के निर्माण की आधारशिला रखी थी। 31 अक्टूबर 2018 के मध्य में विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति स्टेच्यु ऑफ यूनिटी का निर्माण कार्य समाप्त हुआ था।

प्रधानमंत्री मोदी ने सरदार पटेल को किया नमन

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, ‘भारत के सम्मान और पहचान के लिए समर्पित एक विराट व्यक्तिव सरदार साहब का आज धरती से लेकर आसमान तक अभिषेक हो रहा है। स्टेच्यु ऑफ यूनिटी लौह पुरुष सरदार पटेल की याद दिलाती रहेगी जिन्होंने मां भारती को खंड-खंड करने की साजिश को नाकाम किया था। सरदार पटेल ने देश को एक करने के लिए यदि संकल्प नहीं लिया होता तो आज हमें सोमनाथ की पूजा करने और चार मीनार को देखने के लिए वीजा लेना पड़ता। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, ‘कुछ लोग हमारी मुहिम को राजनीतिक चश्मे से देखना चाहते हैं, महापुरुषों को याद करना अपराध है क्या?

स्टेच्यु ऑफ यूनिटी है खास

स्टेच्यु ऑफ यूनिटी गुजरात के भरुच के निकट नर्मदा जिले के साधु बेट नामक जगह पर स्थापित है, जो नर्मदा नदी पर एक टापू है। मूर्ति को लार्सन एंड टर्बो और राज्य सरकार के सरदार सरोवर निगम लिमिटेड द्वारा बनाया गया है। मूर्ति को 250 इंजीनियरों, 3400 मजदूरों द्वारा निर्मित किया गया है। निर्माण वी. सुतार की देखरेख में हुआ है। मूर्ति की लंबाई 597 फीट और 182 मीटर है। यह विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा है। इससे पूर्प चीन में स्प्रिंग टेंपल को सबसे बड़ी मूर्ति (153 फीट) थी। साथ ही स्टेच्यु ऑफ यूनिटी को बनाने में 33 माह लगा है, यह भी एक विश्व रिकार्ड है। प्रतिमा बनने की लागत राशि 1,347 करोड़ रुपये है, वहीं अगले 15 सालों तक मूर्ति के रखरखाव के लिए 657 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे।

स्टेच्यु ऑफ यूनिटी है पर्यटन स्थल

स्टेच्यु ऑफ युनिटी एक टूरिस्ट प्लेस के रूप में विकसित किया गया है। 235 करोड़ रुपये में प्रदर्शनी हॉल, और सभागार केंद्र बनाये गये हैं। वहीं 83 करोड़ रुपये पुल के निर्माण के लिए खर्च किये गये हैं। यहां आम जनों को प्रवेश के लिए 350 रुपये को खर्च करना पड़ेगा। स्मारक तक लिफ्ट से पहुंचा जा सकेगा। इसमें 500 फीट का एक आब्जर्वर बनाया गया है जिसके माध्यम से एक समय में 200 लोग मूर्ति का निरीक्षण करने में सक्षम होंगे। इसके साथ ही वहां एक आधुनिक प्लाजा भी बनाया गया है, जिसमें लोग खान-पान के आनंद के साथ रिटेल एवं उपहार की वस्तुएं भी है, जिससे पर्यटकों को अच्छा अनुभव मिलेगा।