पश्चिम बंगाल के आसनसोल और रानीगंज को सांप्रदायिक दंगों ने अपने आगोश में ले लिया। बंगाल के ये दोनों शहर आग की लपटों में तब झुलसने लगे जब बंगाल के लोग राम नवमी की जुलूस यात्रा निकाल रहे थे, तभी कुछ अराजक तत्वों ने शांति पूर्ण माहौल को आग की जद में ढकेल दिया, और एक दम से पूरा के पूरे मंजर ने धंधकते दंगे की शक्ल ले ली। इन दंगों में लोगों के साथ साथ पुलिस कर्मियों को भी बड़े पैमाने पर मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। एक तरफ बंगाल सांप्रदायिक आग से झुलस रहा है तो दूसरी तरफ सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2019 की राजनीति के लिए थर्ड फ्रंट के नव निमार्ण के लिए दिल्ली में सभी विपक्षी दलों को लामबंद करने की जद्दोजिहद में जुटी हुई थी। ममता एक के बाद एक सभी भाजपा विरोधी दलों से मिलकर एक जुट की कवायत में जूझती हुई दिखाई दे रही थी। मौके का फायदा उठाते हुए भाजपा ने ममता सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए बंगाल सरकार को आंड़े हाथों लिया, औऱ कहा कि बंगाल दहक रहा है और दीदी 2019 की रणनीति बनाने में व्यस्त हैं।

वाकई बड़ी विडंम्बना है, बीजेपी बंगाल सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रही है तो वहीं ममता बनर्जी का कहना है कि इस दंगे को भाजपाई दंगईयों ने भड़काया है। इसमें फायदा किसी भी राजनैतिक पार्टी का हो लेकिन एक बात तो साफ है कि इस सांप्रदायिक आग में प्रदेश की जनता जल रही है। एक बार को अगर ये मान भी लिया जाए कि इस दंगे की चिनगारी को किसी राजनैतिक दल ने सह दी है तो भी किसी भी सरकार की राज्य के प्रति ये जिम्मेदारी बनती है कि वो राज्य की कानून व्यवस्था को चरमराने न दे।

ममता की प्रदेश वापसी के बाद दोनों ही शहरों में धारा 144 को लागू कर स्थित को सामान्य बनाने की कवायत की जा रही है। बंगाल सरकार ने दंगों की जांच कर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने का हुक्म जारी किया गया। राजनैताओं से अपील है कि 2019 को राजनैतिक चश्में से उस हद तक देखा जाए जिस हद तक देश की आवाम की सुरक्षा को हानि न पहुंचे। नहीं इन रसूकदारों को भी बड़े पैमाने पर खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।